गणेश चतुर्थी 2020
भारत में कुछ त्यौहार धार्मिक पहचान के साथ-साथ क्षेत्र विशेष की संस्कृति के परिचायक भी हैं। इन त्यौहारों में किसी न किसी रूप में प्रत्येक धर्म के लोग शामिल रहते हैं। जिस तरह पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा आज पूरे देश में प्रचलित हो चुकी है उसी प्रकार महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी का उत्सव भी पूरे देश में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
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गणेश चतुर्थी 2020 |
कब से कब तक मनाया जाता है गणेशोत्सव
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश जी का उत्सव गणपति प्रतिमा की स्थापना कर उनकी पूजा से आरंभ होता है और लगातार दस दिनों तक घर में रखकर अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल नगाड़े बजाते हुए, नाचते गाते हुए गणेश प्रतिमा को विसर्जन के लिये ले जाया जाता है। विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव की समाप्ति होती है।
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गणेश चतुर्थी 2020 |
गणेश चतुर्थी को क्यों कहते हैं डंडा चौथ
गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है। मान्यता है कि गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्चे डण्डे बजाकर खेलते भी हैं। इसी कारण कुछ क्षेत्रों में इसे डण्डा चौथ भी कहते हैं।
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गणेश चतुर्थी 2020 |
कैसे करें गणेश प्रतिमा की स्थापना व पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है। यह प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से अपने सामर्थ्य के अनुसार बनाई जा सकती है। इसके पश्चात एक कोरा कलश लेकर उसमें जल भरकर उसे कोरे कपड़े से बांधा जाता है। तत्पश्चात इस पर गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है। इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार कर उसका पूजन किया जाता है। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकि ब्राह्मणों में बांट दिये जाते हैं। गणेश जी की पूजा सांय के समय करनी चाहिये। पूजा के पश्चात दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी दी जाती है।
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गणेश चतुर्थी 2020 |
गणेश चतुर्थी 2020
गणेश चतुर्थी पर्व तिथि व मुहूर्त 2020
गणेश चतुर्थी 2020
22 अगस्त
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गणेश चतुर्थी 2020 |
मध्याह्न गणेश पूजा – 11:07 से 13:41
चंद्र दर्शन से बचने का समय- 09:07 से 21:26 (22 अगस्त 2020)
चतुर्थी तिथि आरंभ- 23:02 (21 अगस्त 2020)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 19:56 (22 अगस्त 2020)
पौराणिक एवं प्रचलित श्री गणेश कथा
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गणेश चतुर्थी 2020 |
श्री गणेशाय नम:'
संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्री गणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। माह की किसी भी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के दौरान संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ना अथवा सुनना जरूरी होता है। इससे संबंधित चार कथाएं प्रचलित हैं।
कथा :-
पौराणिक एवं प्रचलित श्री गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिव जी ने कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेश जी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया।
इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा।
भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेश जी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी उन्हें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिव जी ने श्री गणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा।
तब गणेश ने कहा - 'माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।' यह सुनकर भगवान शिव ने गणेश जी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे। इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी।
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गणेश चतुर्थी 2020 |
इस तरह करें संकष्टी चतुर्थी की पूजा :-
1-अगर आप संकट चतुर्थी का व्रत कर रहे हैं तो सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
2-इसके बाद हाथ में जल, अक्षत् और फूल लें और व्रत का संकल्प करें।
3-फिर चौकी लगाएं और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। इस पर पीले रंग का वस्त्र रखें और कलावा बांध दें।
4-चौकी पर स्वास्तिक बनाएं और गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर को जल, पंचामृत और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर चौकी पर इसे स्थापित करें।
5-गणेश जी की मूर्ति पर माला चढ़ाएं और उन्हें तिलक लगाएं।
6-इस दिन आपको दिनभर व्रत करना होगा। शाम को गणेश जी की विधि-विधान पूजा करें।
7-गणेश जी को पुष्प, अक्षत्, चंदन, धूप-दीप, और शमी के पत्ते को अर्पित करें। साथ ही दुर्वा भी चढ़ाएं।
8-इसके बाद गणेश जी को लड्डुओं का भोग लगाएं।
9-गणेश जी के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
10-संकट चतुर्थी की व्रत कथा भी जरूर सुनें।
11-फिर रात को चंद्रमा को जल का अर्घ्य दें। ब्राह्मण को देने के लिए दान-दक्षिणा का सामान अलग रख दें।
12-इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण क
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