नाग पंचमी 2020
नाग पंचमी |
हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा उपासना के लिये व्रत व त्यौहार मनाये ही जाते हैं साथ ही देवी-देवताओं के प्रतिकों की पूजा अर्चना करने के साथ साथ उपवास रखने के दिन निर्धारित हैं। नाग पंचमी एक ऐसा ही पर्व है। नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं। वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी। लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है। इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। सावन मास के आराध्य देव भगवान शिव माने जाते हैं। साथ ही यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिसमें माना जाता है कि भू गर्भ से नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं। वह किसी अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी |
क्यों मनाई जाती है नागपंचमी: भविष्यपुराण में पंचमी तिथि में नाग पूजा, इनकी उत्पत्ति और यह दिन खास क्यों है, इस बात का उल्लेख किया गया है। बताया गया है कि जब सागर मंथन हुआ था तब नागों को माता की आज्ञा न मानने के चलते श्राप मिला था। इन्हें कहा गया था कि राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर ये सभी भस्म हो जाएंगे। इससे सभी घबराए हुए नाग ब्राह्माजी की शरण में पहुंच गए। नागों ने ब्रह्माजी से मदद मांगी तो ब्रह्माजी ने बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को नागों को उनकी रक्षा का उपया बताया था। वहीं, आस्तिक मुनी ने भी नागों को यज्ञ में जलने से सावन की पंचमी को ही बचाया था। मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर नागों के शरीर को शीतलता प्रदान की थी। इसके बाद नागों ने आस्तिक मुनि से कहा था कि जो भी उनकी पूजा पंचमी तिथि पर करेगा उन्हें नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है।
नाग पंचमी |
नाग पंचमी पर्व तिथि व मुहूर्त 2020
नाग पंचमी 2020
25 जुलाई
पूजा मुहूर्त - 05:43 से 8:25 ( 25 जुलाई 2020)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 14:33 (24 जुलाई 2020)
पंचमी तिथि समाप्ति - 12:01 (25 जुलाई 2020)
नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध
नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा। पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से खिसक लिया। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
नाग पंचमी |
iन बातों का रखें खास ख्याल: नागपंचमी के दिन नागों को दूध नहीं पिलाया जाता है। दूध से इनका अभिषेक किया जाता है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि नागों को दूध पिलाने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इससे व्यक्ति को श्राप लगता है। कई जगहों पर चूल्हे पर तवा भी नहीं चढ़ाया जाता है क्योंकि कुछ लोग मानते हैं कि नाग का फन तवे जैसा होता है और चूल्हे पर तवे को रखना मतलब नाग के फन को जलाना होता है। साथ ही इस दिन मिट्टी की खुदाई भी नहीं की जाती है।
नाग पंचमी |
क्यों मनाई जाती है नागपंचमी: भविष्यपुराण में पंचमी तिथि में नाग पूजा, इनकी उत्पत्ति और यह दिन खास क्यों है, इस बात का उल्लेख किया गया है। बताया गया है कि जब सागर मंथन हुआ था तब नागों को माता की आज्ञा न मानने के चलते श्राप मिला था। इन्हें कहा गया था कि राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर ये सभी भस्म हो जाएंगे। इससे सभी घबराए हुए नाग ब्राह्माजी की शरण में पहुंच गए। नागों ने ब्रह्माजी से मदद मांगी तो ब्रह्माजी ने बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को नागों को उनकी रक्षा का उपया बताया था। वहीं, आस्तिक मुनी ने भी नागों को यज्ञ में जलने से सावन की पंचमी को ही बचाया था। मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर नागों के शरीर को शीतलता प्रदान की थी। इसके बाद नागों ने आस्तिक मुनि से कहा था कि जो भी उनकी पूजा पंचमी तिथि पर करेगा उन्हें नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है।
नाग पंचमी |
क्यों करते हैं नाग पंचमी पूजा
नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के उपरोक्त धार्मिक और सामाजिक कारण तो हैं ही साथ ही इसके ज्योतिषीय कारण भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। काल सर्प दोष भी कई प्रकार का होता है। इस दोष से मुक्ति के लिये भी ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व बताते हैं।
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नाग पंचमी पर क्या करें क्या न करें
इस दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती। नाग पूजा के लिये नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।
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